सुहागन के वैसे तो सोलह श्रृंगारमाने जाते है लेकिन सुहागन के श्रृंगार में चूड़ी का महत्त्व अधिक है।हिन्दुस्तान में सुहागन के हाथों में सुन्दर चुडिय़ों का होना अच्छाशगुन माना जाता है और चुडिय़ों का टूटना अपशगुन। जब औरत केसजने संवरने की बात आती है तो बिन्दियां, काजल और चूड़ी कानाम प्रमुख रूप से सामने आता है।
चुडिय़ा भी तरह-तरह की होती है जैसे कि कांच एवं सोने-चांदी सेबनी चुडिय़ां विशेष रूप से प्रचलन में है लेकिन लाख के चूड़े की बातही कुछ और है। कई स्थानों पर शादी-ब्याह में नवविवाहिता के लिएलाख का चूड़ा पहना जाना अनिवार्य माना जाता है।
वैसे तो प्रत्येक छोटे-बड़े नगर में लाख की चुडिय़ा उपलब्ध हो जाती है लेकिनकुचामन सिटी में बनने वाली लाख की चुडिय़ा
भारतभर में प्रसिद्ध है। राजस्थान के कई मारवाड़ी गीतों में भी कुचामन के लाख केचूड़ों का गुणगान आता है।
भारतभर में प्रसिद्ध है। राजस्थान के कई मारवाड़ी गीतों में भी कुचामन के लाख केचूड़ों का गुणगान आता है।
पीढिय़ों से बना रहे हैं लाख के चूड़े : सदर बाजार स्थित 100 साल पुरानी दुकान के मालिक ईस्लामुद्दीन मणियार बताते है
कुचामनसिटी के दर्जनभर परिवार पिढिय़ों से लाख के चूड़े एवं चुडिय़ां बनाने के व्यवसाय से जूड़े है। ईस्लामुद्दीन बताते है शहर में खासकरमुस्लिम मणियार जाति के लोग ही यह कारोबार करते है। लाख एक प्रकार का पदार्थ होता है जो ठंडे तापमान में जम जाता है एवंउसे कम आग में गर्म करके हाथ एवं मूसल की सहायता से चूड़े के आकार में ढ़ाला जाता है।
चूड़े के ठंडा होने से पहले उस पर रंग-बिरंगे चमकते नगीनों से उसकी सुन्दरता में चार चांद लगाए जाते है। कुचामन में बने
लाख केचूड़े एवं चुडिय़ां राजस्थान ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण हिन्दुस्तान में निर्यात किए जाते है।
Source - Morning News
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